Wednesday 19 June 2013

तीरथगढ़ के बंदर

देश के आदिवासी क्षेत्र बस्तर के प्रमुख शहर जगदलपुर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी पर स्थित तीरथगढ़ अपने मनोरम जलप्रपात के लिए तो प्रसिद्ध है ही, यह हजारों लाल मुंह वाले बंदरों की सुरक्षित शरणगाह भी है। यहां के घने जंगलों में उन्हें जो कुछ चाहिये, वह सब कुछ उपलब्ध है- खूब ऊंचे वृक्ष, बहता साफ पानी, प्रदूषणमुक्त पर्यावरण। झरना देखने आने वाले लोग उनके लिए खाने-पीने का सामान भी वहां लगी दुकानों से खरीद लाते हैं। हाल ही में वहां जाने का अवसर मिला। ये बंदर अपेक्षाकृत छोटे आकार के होते हैं। एक पेड़ से दूसरे पर, एक शाख से अन्य पर, जमीन से दरख्तों पर और उन पर से दीवारों पर उछलते-कूदते बंदरों को देखना सुखद लगता है- अपने बचपन की ओर लौटने जैसा!






1 comment:

  1. बंदरों को उछलते-कूदते देखना सुखद लगता है,लेकिन ये बंदर अपने उत्पात से लोगों को परेशान भी करते हैं।
    हमारे यहां काले बंदरों की टोली एक छत से दूसरे छत, फिर पेड़ों पर चढ़कर इतना उत्पात मचाते हैं कि कालोनीवासी इनसे परेशान हो जाते हैं, उनको देख कुत्तों को झुंड भी उनके पीछे लग जाता है...

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