देश के आदिवासी क्षेत्र बस्तर के प्रमुख शहर जगदलपुर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर
पहाड़ी पर स्थित तीरथगढ़ अपने मनोरम जलप्रपात के लिए तो प्रसिद्ध है ही, यह हजारों लाल मुंह वाले
बंदरों की सुरक्षित शरणगाह भी है। यहां के घने जंगलों में उन्हें जो कुछ चाहिये,
वह सब कुछ उपलब्ध
है- खूब ऊंचे वृक्ष, बहता साफ पानी, प्रदूषणमुक्त पर्यावरण। झरना देखने आने वाले लोग उनके लिए खाने-पीने का सामान
भी वहां लगी दुकानों से खरीद लाते हैं। हाल ही में वहां जाने का अवसर मिला। ये
बंदर अपेक्षाकृत छोटे आकार के होते हैं। एक पेड़ से दूसरे पर, एक शाख से अन्य पर,
जमीन से दरख्तों
पर और उन पर से दीवारों पर उछलते-कूदते बंदरों को देखना सुखद लगता है- अपने बचपन
की ओर लौटने जैसा!